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आओ हम उत्पत्ति 22:17-18 को देखें। यह यहोवा परमेश्वर के द्वारा बोला गया एक और अंश है
परमेश्वर देह बनकर मसीह कहलाता है,
जो मसीह सत्य दे पाए, परमेश्वर कहलाता है।
ये कहना कोई बड़ी बात नहीं,
क्योंकि उसमें सारतत्व है परमेश्वर का।
यहोवा परमेश्वर ने पुराने नियम में हमें स्पष्ट रूप से बताया है: "मैं ही यहोवा हूँ और मुझे छोड़ कोई उद्धारकर्ता नहीं" (यशायाह 43:11)।
उत्पत्ति 2:18-20 फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, "आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए।"
बाइबल की हर चीज़ परमेश्वर के द्वारा व्यक्तिगत रूप से बोले गए वचनों का लिखित दस्तावेज़ नहीं है।
परमेश्वर का सारतत्व नहीं है बस एक दिखावा,
परमेश्वर की मनोहरता नहीं है दिखावा।
उसके सारतत्व का है अस्तित्व; इसे दूसरों ने दिया नहीं है,
और निश्चय ही यह स्थान, समय, युगों के साथ नहीं बदलता है।
ईश्वर व्यावहारिक ईश्वर है।
उसका सारा कार्य, सब वचन,
सच्चाई जो उसने व्यक्त की, व्यावहारिक हैं।
बाक़ी सब खोखला और अनुचित है।
मानव को पवित्र आत्मा राह दिखाएगा
ईश्वर के वचनों में प्रवेश के लिए।
धन्य वचन (मत्ती 5:3-12)
नमक और ज्योति (मत्ती 5:13-16)
व्यवस्था की शिक्षा (मत्ती 5:17-20)
क्रोध और हत्या (मत्ती 5:21-26)
व्यभिचार (मत्ती 5:27-30)
परमेश्वर का वचन · 18. April 2020
"मूसा ने कहा, 'मुझे अपना तेज दिखा दे।' उसने कहा, 'मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई दिखाऊँगा, और तेरे सम्मुख यहोवा नाम का प्रचार करूँगा; और जिस पर मैं अनुग्रह करना चाहूँ उसी पर अनुग्रह करूँगा, और जिस पर दया करना चाहूँ उसी पर दया करूँगा।'
बहुत से लोगों को लगता है कि उनका प्रारब्ध उनके अपने हाथ में है। लेकिन जब आपदा आती है, हम सभी को असहायता, भय और दहशत होती है, और हम मानवजाति की महत्वहीनता और जीवन की नाजुकता को महसूस करते हैं।